शिक्षा व्यवस्था के ध्वस्त होते आदर्श और अभिवावकों की मानसिक विकृति
।।जय श्री राम।।
मैंने कभी नही सुना कि America में Board Exam के Result आ रहे हैं या UK में लड़कियों ने बाजी मार ली है या Australia में किसी छात्र के 99.5% आए हैं।मई-जून के महीने में भारत के हर घर में दस्तक देती है एक भय, एक उत्तेजना, एक जिज्ञासा, एक मानसिक विकृति...।
हर माता-पिता, हर बोर्ड के इग्जाम मे बैठा बच्चा हर बीतते हुए पल को एक ऑब्ससेशन, एक डिप्रेशन, एक इनसेक्योरीटी में काट रहा होता है की..., क्या होगा?
माता-पिता फ़सल की तरह बच्चों को पाल रहे है कि कब फ़सल पके, कब उनकी अधूरी रह चुकी अकाँक्षाऐं पूरी होंगी, कब वे फ़सल काटेंगे।
हमारे पूंजीवादी इनवेस्टर्स को क्या प्रोडक्ट चाहिये इस हिसाब से शिक्षा और उसके उद्देश्य तय हो रहे हैं। एक परिवार सुख-चैन त्याग, दिन-रात जग करके, संघर्षों और परीश्रम में गुज़र जाता है। उस परिवार का अपना अस्तित्व और सुख-चैन और मानवीय भावनाऐं इसलिये भेंट चढ जाती है क्योंकि TCS को एक बेहतरीन Software Developer चाहिये या Mckinsey को Best Brain चाहिए या Reliance को बेहतरीन Game Designer चाहिये।
हमारी शिक्षा व्यवस्था व उसके आदर्श कहाँ रह गये?
हमारे स्कूल देश के बेस्ट नागरिक नही देश के बेस्ट मजदूर बनाने में दिन रात एक करके जुटे हुए हैं... और माता-पिता बच्चों को Mechanical Device बनाने को प्रतिबद्ध हैं।
बच्चों को जीने दो, दुनिया खत्म नही होने जा रही।
उन्हे Best Employee नही Best Citizen बनाने में यकीन रखो।
बचपन की भी खुद से कुछ अपेक्षाऐ होती हैं, अपने निस्वार्थ स्वप्न होते हैं जो बच्चों के लिए जन्नत से कम नही, पर उनका हमारे लिये कोई अर्थ नही।
कृपया बच्चों की दुनिया मत उजाड़ो, उन्हें मनोरोगी मत बनाओ।
ये मानसिक रुग्णता ही तो है.....
टोपर्स की खबरें, उन्हे मिठाई खिलाते माता-पिता की फोटो। क्या ये एक आम सामान्य स्तर के बच्चो को मानसिक हीनता की अनुभूती नही देंगे!?
अरे! टॉपर तो दो चार होंगे बाकी देश का बोझ तो इन्हीं 99% फूल से कोमल सामान्य बच्चों ने ही उठाना है। उनकी मुस्कान मत छीनो, देश से उसकी सृजनात्मक शक्ति मत छिनो।
जैसे हमारे लिये कुछ पिछड़े इलाकों के माँ-बाप मजदूर तैयार कर रहे हैं वैसे ही हम Tata, Reliance, Larsen & Tubro, Maruti, McKinsey, Densu, आदि के लिये मजदूर तैयार कर रहे हैं।
वे कुछ भी बन जाएं, MNC में CEO हो जाएं पर जो बचपन की रिक्तता हमने आरोपित कर दी है वह उन्हे जीवन भर खलेगी और मानवीय विकृतियों के रुप में फलेगी।
हमें बेस्ट सीईओ मिलेंगे जिनकी प्राथमिकता उनकी कंपनी होगी, देश नही।
विचार करें।🙏
इस पोस्ट में मूल भावनाएं एक स्नेहिल मित्र की है।

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